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Ravivar Vrat Katha

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किसी ग्रह की अनुकूलता प्राप्त करने हेतु उससे संबंधित वस्तुओं का दान, जप तथा व्रत करने का विधान है। किसी ग्रह की शांति कराने या उसकी शुभता प्राप्त करने के लिए उससे संबंधित वार को व्रत किया जाता है। यदि किसी ग्रह की दशा, महादशा, अंतर्दशा, जन्मांक और गोचराष्टक वर्ग में से कोई अनिष्टकारी- हो तो उस ग्रह की शांति के लिए वार के अनुसार व्रत करने का विधान है। सप्ताह के प्रत्येक वार का काल सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक रहता है।

रविवार व्रत सूर्य देव की कृपा प्राप्ति हेतु किया जाता है। सूर्य प्रकाश, आरोग्य, प्रतिष्ठाद- ि देते हैं तथा अरिष्टों का निवारण भी करते हैं। नवग्रह शांति विधान में भी केवल सूर्योपासन- ा से सभी ग्रह की शांति हो जाती है, क्योंकि ये नवग्रहों के राजा हैं। इस हेतु माह वैशाख, मार्गशीर्ष- और माघ श्रेष्ठ हैं। उक्त में से किसी भी माह के प्रथम रविवार (शुक्ल पक्ष) से इस व्रत को संकल्प लेकर प्रारंभ करना चाहिए। यह व्रत एक वर्ष अथवा १२ या ३० रविवार तक करे ।

रविवार व्रत विधान –

प्रातः काल स्नानोपरां- त रोली या लाल चंदन, लाल पुष्प, अक्षत, दूर्वा मिश्रित जल आदि से सूर्य को अघ्र्य देना चाहिए। भोजन के पूर्व स्नान आदि से निवृत होकर शुद्ध वस्त्र धारण कर निम्न मंत्र बोलते हुए पुनः अघ्र्य दें-

नमः सहस्रांशु सर्वव्याधि- विनाशन/गृह- णाघ्र्यमय- दत्तं संज्ञा सहितो रवि।।

अघ्र्- य देने के पूर्व ‘ॐ  ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः’ मंत्र का कम से कम पांच माला (या यथा शक्ति) जप करना चाहिए। लाल चंदन, कुमकुम या रोली का तिलक लगाकर रविवार व्रत कथा पढ़ें।

इस व्रत में इलायची मिश्रित गुड़ का हलवा, गेहूं की रोटियां या गुड़ से निर्मित दलिया सूर्यास्त के पूर्व भोजन के रूप में ग्रहण करना चाहिए। यदि निराहार रहते हुए सूर्य छिप जाये तो दुसरे दिन सूर्य उदय हो जाने पर अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करें । भोजन में सर्वप्रथम सात कौर गुड़ का हलवा या दलिया और फिर अन्य पदार्थ ग्रहण करना चाहिए। भोजन के पूर्व हलवा या दलिया का कुछ भाग देवस्थान या देव-दर्शन को आए बालक-बालिक- ओं को देना चाहिए। नमक – तेलयुक्त भोजन का प्रयोग न करे।

अंतिम रविवार को आम या अर्क की समिधा से हवन कर ब्राह्मण व ब्राह्मणी को भोजन कराएं और वस्त्र, दक्षिणा आदि देकर आशीर्वाद लें। ब्रह्मचर्य- व्रत का पालन करते हुए पूर्ण निष्ठा के साथ सूर्य का व्रत करने से सभी मनोकामनाओं- की पूर्ति होती है। इससे न केवल शत्रु पर विजय की प्राप्त होती है, बल्कि संतान प्राप्ति के भी योग बनते हैं। साथ ही नेत्र व्याधि, चर्म रोग, कुष्ठ रोगादि दूर होते हैं। यह व्रत आरोग्य, सौभाग्य और दीर्घायु भी देता है।

रविवार (इतवार) व्रत कथा

प्राचीन- काल में कंचनपुर में एक बुढ़िया रहती थी। वह नियमित रूप से रवि वार का व्रत कर रही थी। रविवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर बुढ़िया स्नानादि से निवृत्त होकर अपने घर के आंगन को गोबर से लीपकर स्वच्छ करती थी। उसके बाद सूर्य भगवान की पूजा करते हुए, रविवार व्रत कथा सुन कर सूर्य भगवान का भोग लगाकर दिन में एक समय भोजन करती थी। सूर्य भगवान की अनुकम्पा से बुढ़िया को किसी प्रकार की कोई चिन्ता व कष्ट नहीं था। धीरे-धीरे उसका घर धन-धान्य से भर रहा था। उस बुढ़िया को सुखी-समृद्- होते देखकर उसकी पड़ोसन उससे बुरी तरह जलने लगी थी। बुढ़िया ने कोई गाय नहीं पाल रखी थी। अतः वह अपनी पड़ोसन के आंगन में बंधी गाय का गोबर लाती थी। पड़ोसन ने कुछ सोचकर अपनी गाय को घर के भीतर बांध दिया। रविवार को गोबर न मिलने से बुढ़िया अपना आंगन नहीं लीप सकी। आंगन न लीप पाने के कारण उस बुढ़िया ने सूर्य भगवान को भोग नहीं लगाया और उस दिन स्वयं भी भोजन नहीं किया। सूर्यास्त होने पर बुढ़िया भूखी-प्यास- सो गई। रात्रि में सूर्य भगवान ने उसे स्वप्न में दर्शन दिए और उससे व्रत न करने तथा उन्हें भोग न लगाने का कारण पूछा। बुढ़िया ने बहुत ही करुण स्वर में पड़ोसन के द्वारा घर के अन्दर गाय बांधने और गोबर न मिल पाने की बात कही। सूर्य भगवान ने अपनी अनन्य भक्त बुढ़िया की परेशानी का कारण जानकर उसके सब दुःख दूर करते हुए कहा, “हे माता! तुम प्रत्येक रविवार को मेरी पूजा और व्रत करती हो। मैं तुमसे अति प्रसन्न हूं और तुम्हें ऐसी गाय प्रदान करता हूं जो तुम्हारे घर-आंगन को धन-धान्य से भर देगी। तुम्हारी सभी मनोकामनाएं- पूरी होंगी। रविवार का व्रत करनेवालों की मैं सभी इच्छाएं पूरी करता हूं। मेरा व्रत करने व कथा सुनने से बांझ स्त्रियों को पुत्र की प्राप्ति होती है। निर्धनों के घर में धन की वर्षा होती है। शारीरिक कष्ट नष्ट होते हैं। मेरा व्रत करते हुए प्राणी मोक्ष को प्राप्त करता है।” स्वप्न में उस बुढ़िया को ऐसा वरदान देकर सूर्य भगवान अन्तर्धान हो गए।

प्रातःक- ाल सूर्योदय से पूर्व उस बुढ़िया की आंख खुली तो वह अपने घर के आंगन में सुन्दर गाय और बछड़े को देखकर हैरान हो गई। गाय को आंगन में बांधकर उसने जल्दी से उसे चारा लाकर खिलाया। पड़ोसन ने उस बुढ़िया के आंगन में बंधी सुन्दर गाय और बछड़े को देखा तो वह उससे और अधिक जलने लगी। तभी गाय ने सोने का गोबर किया। गोबर को देखते ही पड़ोसन की आंखें फट गईं। पड़ोसन ने उस बुढ़िया को आसपास न पाकर तुरन्त उस गोबर को उठाया और अपने घर ले गई तथा अपनी गाय का गोबर वहां रख आई। सोने के गोबर से पड़ोसन कुछ ही दिनों में धनवान हो गई। गाय प्रति दिन सूर्योदय से पूर्व सोने का गोबर किया करती थी और बुढ़िया के उठने के पहले पड़ोसन उस गोबर को उठाकर ले जाती थी। बहुत दिनों तक बुढ़िया को सोने के गोबर के बारे में कुछ पता ही नहीं चला। बुढ़िया पहले की तरह हर रविवार को भगवान सूर्यदेव का व्रत करती रही और कथा सुनती रही। लेकिन सूर्य भगवान को जब पड़ोसन की चालाकी का पता चला तो उन्होंने तेज आंधी चलाई। आंधी का प्रकोप देखकर बुढ़िया ने गाय को घर के भीतर बांध दिया। सुबह उठकर बुढ़िया ने सोने का गोबर देखा उसे बहुत आश्चर्य हुआ। उस दिन के बाद बुढ़िया गाय को घर के भीतर बांधने लगी। सोने के गोबर से बुढ़िया कुछ ही दिन में बहुत धनी हो गई। उस बुढ़िया के धनी होने से पड़ोसन बुरी तरह जल-भुनकर राख हो गई और उसने अपने पति को समझा-बुझाक- उस नगर के राजा के पास भेज दिया। राजा को जब बुढ़िया के पास सोने के गोबर देने वाली गाय के बारे में पता चला तो उसने अपने सैनिक भेजकर बुढ़िया की गाय लाने का आदेश दिया। सैनिक उस बुढ़िया के घर पहुचे। उस समय बुढ़िया सूर्य भगवान को भोग लगाकर स्वयं भोजन ग्रहण करने वाली थी। राजा के सैनिकों ने गाय और बछड़े को खोला और अपने साथ महल की ओर ले चले। बुढ़िया ने सैनिकों से गाय और उसके बछड़े को न ले जाने की प्रार्थना की, बहुत रोई-चिल्ला- , लेकिन राजा के सैनिक नहीं माने। गाय व बछड़े के चले जाने से बुढ़िया को बहुत दुःख हुआ। उस दिन उसने कुछ नहीं खाया और सारी रात सूर्य भगवान से गाय व बछड़े को लौटाने के लिए प्रार्थना करती रही।

सुन्दर- गाय को देखकर राजा बहुत खुश हुआ। सुबह जब राजा ने सोने का गोबर देखा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। उधर सूर्य भगवान को भूखी-प्यास- बुढ़िया को इस तरह प्रार्थना करते देख उस पर बहुत करुणा आई। उसी रात सूर्य भगवान ने राजा को स्वप्न में कहा, राजन! बुढ़िया की गाय व बछड़ा तुरन्त लौटा दो, नहीं तो तुम पर विपत्तियों- का पहाड़ टूट पड़ेगा। तुम्हारे राज्य में भूकम्प आएगा। तुम्हारा महल नष्ट हो जाएगा। सूर्य भगवान के स्वप्न से बुरी तरह भयभीत राजा ने प्रातः उठते ही गाय और बछड़ा बुढ़िया को लौटा दिया। राजा ने बहुत-सा धन देकर बुढ़िया से अपनी गलती के लिए क्षमा भी मांगी। राजा ने पड़ोसन और उसके पति को उनकी इस दुष्टता के लिए दण्ड भी दिया। फिर राजा ने पूरे राज्य में घोषणा कराई कि सभी स्त्री-पुर- ष रविवार का व्रत किया करें। रविवार का व्रत करने से सभी लोगों के घर धन-धान्य से भर गए। चारों ओर खुशहाली छा गई। सभी लोगों के शारीरिक कष्ट दूर हो गए। निस्सन्तान- स्त्रियों को पुत्रों की प्राप्ति होने लगी। राज्य में सभी स्त्री-पुर- ष सुखी जीवन-यापन करने लगे।

Sunday fasting method

On Sunday, get up from bed before sunrise and retire from toilet and bathing and wear clean clothes. After that, install a gold-made statue or picture of Lord Surya at a holy place of the house. After this, worship Lord Surya with the smell of flowers and law. Listen to the script after worship. Perform aarti after listening to the script. After that, remembering the Sun God, give water to the Sun and make satvik food and fruits.

If for some reason the sun sets and the fasting person is unable to eat food, then he will remain unharmed until sunrise the next day and then after bathing, take water only to the sun god, after remembering him.

According to the scriptures, fasting of Sunday is especially beneficial for those people in the horoscope where the sun is in an afflicted state. Apart from this, Sunday fast is also observed to increase confidence. The Lord of this fast is Sun God (Sun is the lord of Sunday fast). The Sunday fast is observed to please the Sun God in the Navagrahas. This fast gives good health and fastness. In the scriptures, in addition to fasting, worship, charity, bathing and chanting of mantras are done. Of these, fast measures have been given the most importance. Different vars have been determined for the entire nine planets. Sunday fast is observed for the accomplishment of all the wishes, m in eye diseases, decrease in leprosy and skin diseases, increase age and good luck.

Importance of Sunday Fast This fast may be started for at least one year and not more than twelve years starting from the first Sunday of the bright fortnight of any month. Shukla Paksha of any month and should be observed for at least one year and maximum upto 12 years). Sunday is because the day of worship of the Sun God. Worshiping the sun god on this day has said the importance of this fast for happiness, prosperity, wealth and protection from enemies. By fasting on Sunday and listening to the story, all the wishes of the person are fulfilled. This fasting person gets respect, wealth, fame and good health as well. By fasting on Sunday, all sins are destroyed. And by doing this fast by women, their infertility also ends. Apart from this, this fast is supposed to give salvation to the fast.

Sunday Vrat Vidhi-Vidhan (Procedure of Sunday Vrata) The person who performs the fast on Sunday should wake up in the morning and wear clean clothes after retiring from the routine activities. In a lonely place in the house, a gold-made statue or picture of Lord Surya Dev should be installed in the northeast. After this, Lord Sun God should be worshiped with the smell, flowers, incense, lamps etc. The fast is resolved before worship. In the afternoon, worship the Lord Surya again and worship and narrate. And on the day of fasting, eat only with wheat bread or porridge made of good, ghee, sugar. Lord Sun is very fond of red flowers. Therefore, worshiping Lord Surya on this day with Kaal colored flowers is even more auspicious.

Sunday Vrat Katha According to the scriptures, fasting Sunday is especially beneficial for those people who are in the sun affected state in their horoscope. Apart from this, Sunday fast is also observed to increase confidence. The Lord of this fast is Sun God (Sun is the lord of Sunday fast). The Sunday fast is observed to please the Sun God in the Navagrahas. This fast gives good health and fastness. In the scriptures, in addition to fasting, worship, charity, bathing and chanting of mantras are done. Of these, fast measures have been given the most importance. Different vars have been determined for the entire nine planets. The fast of Sunday fulfills all wishes, m in eye diseases, decrease in leprosy and skin diseases, Age and good luck is done for growth. Importance of Sunday Fast This fast may be started for at least one year and not more than twelve years starting from the first Sunday of the bright fortnight of any month. Shukla Paksha of any month and should be observed for at least one year and maximum upto 12 years). Sunday is because the day of worship of the Sun God. Worshiping the sun god on this day has said the importance of this fast for happiness, prosperity, wealth and protection from enemies. By fasting on Sunday and listening to the story, all the wishes of the person are fulfilled. This fasting person gets respect, money, Yash is also attained with good health. By fasting on Sunday, all sins are destroyed. And by doing this fast by women, their infertility also ends. Apart from this, this fast is supposed to give salvation to the fast. Sunday Vrat Vidhi-Vidhan (Procedure of Sunday Vrata) The person who performs the fast on Sunday should wake up in the morning and wear clean clothes after retiring from the routine activities. In a lonely place in the house, a gold-made statue or picture of Lord Surya Dev should be installed in the northeast. After this, Lord Sun God should be worshiped with the smell, flowers, incense, lamps etc. The fast is resolved before worship. In the afternoon, worship the Lord Surya again and worship and narrate. And on the day of the fast, only wheat bread or porridge made of good, ghee, Eat with sugar. Lord Sun is very fond of red flowers. Therefore, worshiping Lord Surya on this day with Kaal colored flowers is even more auspicious.

Edit ] Story

According to the Sunday Vrat Katha Katha, there was an old woman, the rule of her life was that every Sunday day, she used to bathe in the morning and purify the house with dung. After this, she used to prepare food, offered food to herself by offering it to God. She had been doing this activity for a long time. By doing this, his house was filled with all the money. That old woman used to bring cow dung of another old cow living in Padaos to cleanse her house. The house from which she used to bring old cow dung, she started to think why it brings my cow dung. So she tied her cow inside the house. Due to the non-availability of cow dung, she could not cleanse her house on Sunday and dipped it with cow dung. Due to this, neither did he prepare food nor did he indulge. Thus, he fasted on that day. She fell asleep hungry at night. Lord Surya Dev came in his night and asked him the reason for this. The old man told what was the reason. Then God said, Mother gives you the best complementary cow, God gave her a cow in her boon, money and a son. And by granting the boon of salvation, they became enlightened. In the morning, when he opened his eyes, he found a beautiful cow and calf in the courtyard. The old lady became very happy. When his neighbor saw the cow calf tied outside the house, he got jealous. Also saw that cow has dung gold. He replaced the cow dung with his cow dung. By doing this daily, the old lady did not even know about it. God saw that the clever neighbor was cheating the old lady, so he set a thunderstorm. The old lady tied the cow inside the house. In the morning he saw the cow dung of gold, So there was no limit to his surprise. Now she started tying the cow inside itself. On the other hand, the neighbor complained of jealousy to the king that the old lady has a cow worthy of kings, which gives gold. The king heard this and asked his messengers to get the cow. The old lady kept unbroken fast in disconnection. On the other hand, the whole palace of the king was filled with cow dung. The king asked him to return the cow in the spring. The king did the same in the morning. At the same time, given proper punishment to the neighborhood. The king instructed all the townspeople to keep the fast. From then on, all the townsmen started observing this fast. And they got happiness. It is said about the fast of Sunday that this fast is ended only when the sun sets. If for some reason the sun sets and the fasting person cannot eat food, then he should not remain foodless till sunrise the next day. On the next day also, after bathing, by giving water to the Sun God, Food should be taken only after remembering them. After worshiping the sun god at sunset one should listen and sing the following aarti. Aarti | Aarti should say, 'Lagi aarti das', the whole world will hold the land. take.. Charanni settled on the seven seas, said, "May you be filled with water Aquarius." Koti Bhanu Jaake Nakh's beauty, said Bhagyo Mandir Deep Dhare Ho Ram. Eighteen Rama sacrificed and said, "Fear, you are the flower." Chhatpan bhog went to Nitprati and said, "Gyo naivedya dhare ho Ram." Amit Koti jaaje Baja Baje Four Vedas are the beauty of Jako Mukha, where you have read the Brahmo Veda. Shiva Sanakadi etc. Brahmadik, Narada Muni Jako Dhe Dhaere Dhar Rama. Go to the snow and go to the wind, said, "Fear!" Lakh Chaurasi Bandh redeem, only Hariyash Namdev sang Ram. Total world holdings take.. Charanni settled on the seven seas, said, "May you be filled with water Aquarius." Koti Bhanu Jaake Nakh's beauty, said Bhagyo Mandir Deep Dhare Ho Ram. Eighteen Rama sacrificed and said, "Fear, you are the flower." Chhatpan bhog went to Nitprati and said, "Gyo naivedya dhare ho Ram." Amit Koti jaaje Baja Baje Four Vedas are the beauty of Jako Mukha, where you have read the Brahmo Veda. Shiva Sanakadi etc. Brahmadic, Narada Muni Jako Dhere Dhare Dha Ram. Go to the snow and go to the wind, said, "Fear!" Lakh Chaurasi Bandh redeem, only Hariyash Namdev sang 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