Astro Consultation

Library

Karva Chauth Vrat Katha

Karva Chauth is celebrated on the krishna paksha Chaturthi of Kartik month. Karva Chauth Vrat is one of the major festival for married women. Married women make this fast for longevity of their husbands.

करवा चौथ की पौराणिक कथा के अनुसार एक समय की बात है, जब नीलगिरी पर्वत पर पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने गए। तब किसी कारणवश उन्हें वहीं रूकना पड़ा। उन्हीं दिनों पांडवों पर गहरा संकट आ पड़ा। तब चिंतित व शोकाकुल द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान किया तथा कृष्‍ण के दर्शन होने पर पांडवों के कष्टों के निवारण हेतु उपाय पूछा। 

तब कृष्ण बोले- हे द्रौपदी! मैं तुम्हारी चिंता एवं संकट का कारण जानता हूं। उसके लिए तुम्हें एक उपाय करना होगा। जल्दी ही कार्तिक माह की कृष्ण चतुर्थी आने वाली है, उस दिन तुम पूरे मन से करवा चौथ का व्रत रखना। भगवान शिव, गणेश एवं पार्वती की उपासना करना, तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो जाएंगे तथा सबकुछ ठीक हो जाएगा। 

कृष- ण की आज्ञा का पालन कर द्रोपदी ने वैसा ही करवा चौथ का व्रत किया। तब उसे शीघ्र ही अपने पति के दर्शन हुए और उसकी सारी चिंताएं दूर हो गईं। 

जब मां पार्वती द्वारा भगवान शिव से पति की दीर्घायु एवं सुख-संपत्त- की कामना की विधि पूछी तब शिव ने 'करवा चौथ व्रत’ रखने की कथा सुनाई थी। करवा चौथ का व्रत करने के लिए श्रीकृष्ण ने दौपदी को निम्न कथा का उल्लेख किया था। 

पुराणो- के अनुसार करवा नाम की एक पतिव्रता धोबिन अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित गांव में रहती थी। उसका पति बूढ़ा और निर्बल था। एक दिन जब वह नदी के किनारे कपड़े धो रहा था तभी अचानक एक मगरमच्छ वहां आया, और धोबी के पैर अपने दांतों में दबाकर यमलोक की ओर ले जाने लगा। वृद्ध पति यह देख घबराया और जब उससे कुछ कहते नहीं बना तो वह करवा..! करवा..! कहकर अपनी पत्नी को पुकारने लगा।

पति की पुकार सुनकर धोबिन करवा वहां पहुंची, तो मगरमच्छ उसके पति को यमलोक पहुंचाने ही वाला था। तब करवा ने मगर को कच्चे धागे से बांध दिया और मगरमच्छ को लेकर यमराज के द्वार पहुंची। उसने यमराज से अपने पति की रक्षा करने की गुहार लगाई और साथ ही यह भी कहा की मगरमच्छ को उसके इस कार्य के लिए कठिन से कठिन दंड देने का आग्रह किया और बोली- हे भगवन्! मगरमच्छ ने मेरे पति के पैर पकड़ लिए है। आप मगरमच्छ को इस अपराध के दंड-स्वरूप नरक भेज दें।

करवा की पुकार सुन यमराज ने कहा- अभी मगर की आयु शेष है, मैं उसे अभी यमलोक नहीं भेज सकता। इस पर करवा ने कहा- अगर आपने मेरे पति को बचाने में मेरी सहायता नहीं कि तो मैं आपको श्राप दूंगी और नष्ट कर दूँगी। 

करव- का साहस देख यमराज भी डर गए और मगर को यमपुरी भेज दिया। साथ ही करवा के पति को दीर्घायु होने का वरदान दिया। तब से कार्तिक कृष्ण की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत का प्रचलन में आया। जिसे इस आधुनिक युग में भी महिलाएं अपने पूरी भक्ति भाव के साथ करती है और भगवान से अपनी पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

"A long long time ago, there lived a beautiful princess by the name of Veeravati. When she was of the marriageable age, Veeravati was married to a king. On the occasion of the first Karva Chauth after her marriage, she went to her parents’ house."

"After sunrise, she observed a strict fast. However, the queen was too delicate and couldn’t stand the rigours of fasting. By evening, Veeravati was too weak, and fainted. Now, the queen had seven brothers who loved her dearly. They couldn’t stand the plight of their sister and decided to end her fast by deceiving her. They made a fire at the nearby hill and asked their sister to see the glow. They assured her that it was the moonlight and since the moon had risen, she could break her fast." 

"However, the moment the gullible queen ate her dinner, she received the news that her husband, the king, was dead. The queen was heartbroken and rushed to her husband’s palace. On the way, she met Lord Shiva and his consort, Goddess Parvati. Parvati informed her that the king had died because the queen had broken her fast by watching a false moon. However, when the queen asked her for forgiveness, the goddess granted her the boon that the king would be revived but would be ill." 

"When the queen reached the palace, she found the king lying unconscious with hundreds of needles inserted in his body. Each day, the queen managed to remove one needle from the king’s body. Next year, on the day of Karva Chauth, only one needle remained embedded in the body of the unconscious king." 

"The queen observed a strict fast that day and when she went to the market to buy the karva for the puja , her maid removed the remaining needle from the king’s body. The king regained consciousness, and mistook the maid for his queen. When the real queen returned to the palace, she was made to serve as a maid." 

"However, Veeravati was true to her faith and religiously observed the Karva Chauth vrat . Once when the king was going to some other kingdom, he asked the real queen (now turned maid) if she wanted anything. The queen asked for a pair of identical dolls. The king obliged and the queen kept singing a song " Roli ki Goli ho gayi... Goli ki Roli ho gayi " (the queen has turned into a maid and the maid has turned into a queen)." 

"On being asked by the king as to why did she keep repeating that song, Veeravati narrated the entire story. The king repented and restored the queen to her royal status. It was only the queen’s devotion and her faith that won her husband’s affection and the blessings of Goddess Parvati."

speak to our expert !

Speak to our Experts and get instant assistance regarding any query you may have.