It is believed that Hanuman was born from the womb of Mother Anjani. He was very hungry at the time of birth. He thought the sun in the sky as a fruit, so he flied towards the sun to eat. On that day, Rahu had also come to attack the sun. But seeing Hanumanji, he understood him as second Rahu. Only then Indra hit pavanaputra with Braja (Thunder), that causing injury to his chin and scratches in it. That's why his name was Hanuman. So, this tithi full moon day of Chaitra Shukla Paksha is celebrated as Hanuman Jayanti. As he born on Tuesday, so people worship Lord Hanuman on Tuesday.
हनुमान भक्तों के लिए हनुमान जयंती(hanuman jayanti) का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, हनुमान जी को रामभक्त माना जाता है। हनुमान को बल, बुद्धि, विद्या, शौर्य और निर्भयता का प्रतीक माना जाता है। जब कोई कोई परेशानी सामने खड़ी हो जाती है तो सबसे पहले पवनसुत को ही याद किया जाता है। इनको कई नामों से भी पुकारते हैं जैसे चीरंजीवी, बजरंगबली, पवनसुत, महावीर, बालीबिमा, अंजनीसुत, संकटमोचन और अंजनेय आदि। हनुमान जी ने अपना पूरा जीवन रामभक्ति में व्यतीत कर दिया और श्रीराम ने उन्हें अजर अमर रहने वाला वरदान दिया। रामभक्ति में तल्लीन बजरंगबली जीवनभर ब्रह्चारी बने रहे।
पौराणिक कथानुसार, एक बार महान ऋषि अंगिरा भगवान इंद्र के देवलोक पहुंचे। वहां पर इंद्र ने पुंजिकस्थला नाम की अप्सरा द्वारा नृत्य प्रदर्शन की व्यवस्था की, लेकिन ऋषि को अप्सरा के नृत्य में कोई दिलचस्पी नहीं थी इसलिए वह गहन ध्यान में चले गए। अंत में जब उनके अप्सरा के नृत्य के बारे में पूछा गया थो उन्होंने ईमानदारी से कहा कि उन्हें नृत्य देखने में कोई दिलचस्पी नहीं है। यह सुनकर पुंजिकस्थला ऋषि पर क्रोधित हो गई बदले में ऋषि अंगिरा ने नर्तकी को श्राप देते हुए कहा कि वह एक बंदरिया के रूप में धरती पर जन्म लेगी। पुंजिकस्थला ने ऋषि से क्षमा याचना की लेकिन ऋषि ने अपना श्राप वापस नहीं लिया। नर्तकी एक अन्य ऋषि के पास गई और ऋषि ने अप्सरा को आशीर्वाद दिया कि सतयुग में भगवान विष्णु का एक अवतार प्रकट होगा। इस तरह पुंजिकस्थला ने सतयुग में वानर राज कुंजर की बेटी अंजना के रूप में जन्म लिया और उनका विवाह कपिराज केसरी से हुआ, जो एक वानर राजा थे इसके बाद दोनों के एक पुत्र हुआ जिसे शक्तिशाली हनुमान कहा गया है।
भगवान शिव के 11वें अवतार माने जाने वाले हनुमान जी के जन्मदिवस को हनुमान जंयती के रूप में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है यह चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। हनुमान जी की माता का नाम अंजना और पिता का नाम केसरी है। बजरंगबली के जन्म की एक रोचक कथा है।
ज्योतिषियों की गणना के अनुसार बजरंगबली का जन्म 58 हजार 112 वर्ष पूर्व चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र और मेष लग्न के योग में सुबह 6 बजे हुआ था। कहा जाता है कि भारत के झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गांव में एक गुफा में हुआ था। जब महावीर का जन्म हुआ तो उनका शरीर वज्र के समान था।
हनुमान जी के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथानुसार सतयुग में राजा दशरथ ने संतान प्राप्ति के लिए गुरु वशिष्ठ के मार्गदर्शन में पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया। जिसे ऋंगी ऋषि ने संपन्न किया। यज्ञ संपन्न होते ही यज्ञ कुंड से अग्निदेव स्वयं खीर का पात्र लेकर प्रकट हुए और तीनों रानियों को बांट दिया। उसी वक्त रानी कैकेयी के हाथों से एक चील ने खीर छीन ली और मुख में भरकर उड़ गई। चील जब उड़ी तो देवी अंजनी के आश्रम से होकर गुजरी और उस वक्त अंजनी ऊपर देख रही थी। अंजनी के मुख मे खीर का आंशिक भाग गिर गया और अनायास वह खीर को निगल गईं। जिसकी वजह से वह गर्भवती हुईं और उन्होंने चैत्र मास की पुण्य तिथि पूर्णिमा को बजरंगबली को जन्म दिया। अजरअमर बजरंगबली भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हुए और सदैव ब्रह्मचारी बने रहे।
.
Speak to our Experts and get instant assistance regarding any query you may have.
To check your daily horoscope, click the link below.
Speak to our Experts and get instant assistance regarding any query you may have. Whats app us at 9501045441
Head Office - Rudra Astrology Centre
Address - Shop No. 28, GF, TDI Business Centre, TDI CITY 1, Sector 117, Sahibzada Ajit Singh Nagar, Punjab 140301
Phone No. - 9501045441, 9501570909
E-mail - sumedh666@gmail.com
© Copyright 2025 by Rudraastro. All right Reserved.
Developed By Ankit Bhardwaj.